RBI Monetary Policy: RBI इस हफ्ते कर सकता है राहत देने वाला ऐलान, सस्ती होगी EMI, कम ब्याज दरों पर मिलेगा लोन
फरवरी 2025 में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दी गई। ऐसा लगभग 5 वर्षों में पहली बार हुआ।

RBI Monetary Policy: आरबीआई ईएमआई चुका रहे लोगों को राहत दे सकता है। आरबीआई 7-9 अप्रैल को अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत निर्णय में ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत तक की कटौती कर सकता है। फिलहाल, कम मुद्रास्फीति के कारण केंद्रीय बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश है।
हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ अर्थव्यवस्था की गति को बनाए रखने के लिए एक चुनौती पेश करते हैं। इस स्थिति में घरेलू मोर्चे पर आर्थिक गति बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
राहत की आशा
इससे पहले फरवरी 2025 में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दी गई। ऐसा लगभग 5 वर्षों में पहली बार हुआ। इस बार भी आरबीआई द्वारा 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद है। ऋण लेना और भी सस्ता हो सकता है।
RBI Monetary Policy
आसान भाषा में समझाएं तो आपको EMI में कुछ राहत मिल सकती है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं का कहना है कि पूरे वर्ष में कुल मिलाकर 0.75 प्रतिशत की कटौती देखी जा सकती है।
सरल शब्दों में, रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है। जब ये दरें गिरती हैं तो बैंक भी लोगों को सस्ती दरों पर ऋण देना शुरू कर देते हैं, जिससे ईएमआई कम हो जाती है और बाजार में खर्च बढ़ जाता है।
RBI का मुद्रास्फीति नियंत्रण लक्ष्य 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत के बीच है और भारत फिलहाल इसी दायरे में बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि आरबीआई का ध्यान अब विकास को बढ़ावा देने पर होगा। यह छोटे व्यवसायों, स्टार्टअप्स और आम जनता के लिए राहत भरी खबर हो सकती है।
टैरिफ से उत्पन्न चुनौती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और चीन समेत 60 देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। टैरिफ 11 प्रतिशत से 49 प्रतिशत तक होंगे और 9 अप्रैल से लागू होंगे। आरबीआई उसी दिन अपनी नीति की घोषणा करेगा।
अब यह भारत के लिए एक अवसर हो सकता है। चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देश यदि अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएं तो भारतीय निर्यातकों के लिए वहां जगह बन सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे निर्यातकों को अवसर का एक नया द्वार मिल सकता है।
वास्तव में, सवाल यह है कि आरबीआई यह संतुलन कैसे कायम करेगा। यानि एक ओर घरेलू विकास की जरूरतें, तो दूसरी ओर वैश्विक व्यापार का बदलता परिवेश। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या ब्याज दरों में फिर कटौती होगी।