Sirsa News : हरियाणा के सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर राजकुमार सालार को स्कॉलर जीपीएस द्वारा जारी नवीनतम रैंकिंग में दुनिया के शीर्ष शोधकर्ताओं में दिया स्थान
प्रो. राजकुमार सालार को विश्व स्तर पर शीर्ष 2.74 प्रतिशत विद्वानों में स्थान दिया गया है । उन्हें कृषि एवं प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में 2.86 प्रतिशत तथा कृषि जैव प्रौद्योगिकी के विशेष क्षेत्र में 0.7 प्रतिशत की उत्कृष्ट रैंकिंग मिली है ।

Sirsa News : हरियाणा के सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर राजकुमार सालार को स्कॉलर जीपीएस द्वारा जारी नवीनतम रैंकिंग में दुनिया के शीर्ष शोधकर्ताओं में स्थान दिया गया है ।
Sirsa News : हरियाणा के सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर राजकुमार सालार को स्कॉलर जीपीएस द्वारा जारी नवीनतम रैंकिंग में दुनिया के शीर्ष शोधकर्ताओं में दिया स्थान
प्रो. राजकुमार सालार को विश्व स्तर पर शीर्ष 2.74 प्रतिशत विद्वानों में स्थान दिया गया है । उन्हें कृषि एवं प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में 2.86 प्रतिशत तथा कृषि जैव प्रौद्योगिकी के विशेष क्षेत्र में 0.7 प्रतिशत की उत्कृष्ट रैंकिंग मिली है । Sirsa News
स्कॉलर जीपीएस दुनिया भर में 120,000 से अधिक संस्थानों से जुड़े 30 मिलियन से अधिक विद्वानों का मूल्यांकन करता है । यह रैंकिंग विद्वानों की शोध उत्पादकता, प्रभाव और प्रकाशनों की गुणवत्ता पर आधारित है । Sirsa News
इन मानकों पर प्रो. राजकुमार सालार के प्रदर्शन ने उन्हें वैश्विक शैक्षणिक उत्कृष्टता की श्रेणी में रखा है । प्रो. राजकुमार सालार ने जापान, नॉर्वे, स्लोवाक गणराज्य और ऑस्ट्रिया सहित कई देशों की शैक्षणिक यात्राएं की हैं और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया है । Sirsa News
सीडीएलयू के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने प्रो. राजकुमार सलार को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह न केवल एक व्यक्तिगत सम्मान है, बल्कि सीडीएलयू की बढ़ती शैक्षणिक ताकत और अनुसंधान क्षमताओं का प्रमाण है ।
जैव प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से कृषि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रो. राजकुमार सालार का योगदान विश्वविद्यालय की सामाजिक और प्रभावशाली अनुसंधान प्रतिबद्धता को दर्शाता है । सालार को 11 पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई । उन्होंने शोधकर्ताओं को मार्गदर्शन दिया है, 6 पुस्तकें लिखी हैं और 100 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए हैं ।