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Haryana & Punjab High Court: आरक्षण समीक्षा पर मनोहर सरकार नहीं दे पाई कोई जवाब,अब हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट ने दिया आखिरी मौका

हाईकोर्ट के कई आदेशों के बाद भी हरियाणा सरकार ने आरक्षण समीक्षा पर जवाब दाखिल नहीं किया।अब इस मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को जवाब देने का आखिरी मौका दिया है।

Haryana & Punjab High Court: हाईकोर्ट के कई आदेशों के बाद भी हरियाणा सरकार ने आरक्षण समीक्षा पर जवाब दाखिल नहीं किया।अब इस मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को जवाब देने का आखिरी मौका दिया है।

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हाई कोर्ट की जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस निधि गुप्ता की बेंच ने सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा।पीठ ने सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी,जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह सरकार को जवाब देने के लिए केवल आखिरी मौका दे रही है।Haryana & Punjab High Court

चंडीगढ़ स्थित स्नेहांचल चैरिटेबल ट्रस्ट ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हाई कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक इंदिरा साहनी और राम सिंह केस की हर 10 साल में समीक्षा की जाए। इसके बावजूद आज तक कोई समीक्षा नहीं हुई।

वोट बैंक के लिए आरक्षण प्राप्त करने वाली जातियों की संख्या में वृद्धि पर कर लगाया जाता है लेकिन किसी भी जाति को बाहर नहीं रखा जाता है।याचिकाकर्ता ने कहा कि आरक्षण लागू करते समय हर 10 साल में इसकी समीक्षा का प्रावधान किया गया था लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया।Haryana & Punjab High Court

याचिकाकर्ता ने कहा कि हरियाणा में आरक्षण के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट 1995 में अपनाई गई थी और इस रिपोर्ट के आधार पर अनुसूची ए और बी तैयार की गई थी।रिपोर्ट में 20 वर्षों में पिछड़े वर्गों को दिए गए आरक्षण की समीक्षा की भी बात कही गई है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट को 15 साल बाद 1995 में अपनाया गया था और इस तरह 2000 में इसकी समीक्षा की जानी चाहिए थी।2017 तक 37 साल बीत चुके हैं लेकिन किसी भी स्तर पर समीक्षा का प्रयास नहीं किया गया है।Haryana & Punjab High Court

याचिकाकर्ता का कहना था कि 1951 से अब तक सिर्फ जातियों को ही शामिल किया गया है।हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि इस बारे में क्या किया जा सकता है।Haryana & Punjab High Court

याचिकाकर्ता ने कहा कि नए सिरे से डेटा इकट्ठा किया जाना चाहिए कि किन जातियों को आरक्षण की जरूरत है और किन्हें नहीं।यह प्रक्रिया हर दस साल में अपनाई जानी चाहिए।

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