Supreme Court Of India:सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अमान्य विवाह के बच्चों को अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि अवैध विवाह के बच्चे हिंदू कानून के तहत माता-पिता की संपत्ति में अधिकार का दावा कर सकते हैं। हिंदू कानून के अनुसार, अमान्य विवाह में एक पुरुष और एक महिला को पति और पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है।
शून्यकरणीय विवाह में उन्हें पति-पत्नी का दर्जा प्राप्त है। शून्य विवाह में, विवाह को रद्द करने के लिए शून्यता की किसी डिक्री की आवश्यकता नहीं होती है।
जबकि शून्यकरणीय विवाह के लिए शून्यता की डिक्री की आवश्यकता होती है। शून्य विवाह वह विवाह है जो शुरू से ही अमान्य होता है जैसे कि विवाह अस्तित्व में ही नहीं आया हो।
शीर्ष अदालत का फैसला 2011 की एक याचिका पर आया है जो इस जटिल कानूनी मुद्दे से निपटता है कि क्या गैर-वैवाहिक बच्चे हिंदू कानूनों के तहत अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी के हकदार हैं।