Diary Farming:किसान भाइयों आजकल दूध और दूध से बने उत्पादों की बहुत मांग है। पशुपालन से किसानों को बहुत लाभ मिलता है। पशुपालन का असली लाभ तब होता है जब उसका पशु पर्याप्त दूध देता है और दूध में अच्छी वसा होती है।
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फैट के आधार पर बाजार में दूध महंगा और सस्ता बेचा जाता है। आइए जानते हैं कि पशुओं में दूध उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए।किसान भाइयों आपको यह अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि मवेशियों में दूध का उत्पादन उतना ही बढ़ाया जा सकता है जितना उस नस्ल का पशु दे सकता है।
फैट के मामले में भी ऐसा ही है। दूध में वसा की मात्रा पशु की नस्ल पर निर्भर करती है। ये वो बातें हैं जिन्हें आपको पशु खरीदते समय ध्यान में रखना है और जिस तरह के जानवर की आपको जरूरत है, उसी तरह का पशु ही खरीदें।किसानों को दिन के 24 घंटे दुधारू पशुओं की देखभाल करनी चाहिए।
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कुछ किसानों का कहना है कि वे अपने पशुओं के चारे पर बहुत अधिक खर्च कर रहे हैं लेकिन फिर भी उनका दूध उत्पादन नहीं बढ़ रहा है. आपने किसी जानवर को दूध के मामले में सुबह 5 किलो और शाम को 5 किलो दाना खिलाया है, उसके बाद भी दूध का उत्पादन नहीं बढ़ता है।
आपको वही सामान दो बार की जगह चार बार देनी होगीकिसानों, आपको पशुओं की नस्ल, उनके कद और दूध देने की क्षमता के अनुसार संतुलित आहार देना चाहिए।
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मौसम के अनुसार आहार पर भी ध्यान देंना चाहिए
मौसम के बदलाव के अनुसार पशुओं के आहार में भी बदलाव करना चाहिए।गर्मी के मौसम में संतुलित आहार बनाते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने पशुओं को ऐसी कोई भी चीज न खिलाएं जिसकी तासीर गर्म हो। इस समय गुड़ और बाजरा खाने से परहेज करना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु का पशुओं को आहार
गर्मी के मौसम में गेहूं, जौ, मक्के का दलिया, चना छिलका, मूंगफली की भूसी, चना चूरी, सोयाबीन, उड़द, जौ, तारामीरा, आंवला और सेंधा नमक का मिश्रण बनाकर पशुओं को देना चाहिए।
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शीत ऋतु का पशुओं को आहार
शीतकालीन आहार में गेहूं, मक्का, बाजरा दलिया, चना चूरी, सोयाबीन, दाल चूरी, हल्दी, खाने योग्य नमक और सादा नमक का मिश्रण तैयार करें. सर्दियों में गुड़ और सरसों का तेल भी दें. बाजरे और गुड़ का दलिया अलग से भी दे सकते है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह दलिया केवल सबसे ठंडे मौसम में ही दिया जाना चाहिए।