Chanakya Niti : चाणक्य की तीव्र बुद्धि और तर्कशक्ति से हर कोई प्रभावित था।वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ और महान अर्थशास्त्री थे। उन्होंने अपनी नीति में बुद्धिमान, सच्चे गुण और सच्चे प्रेम की पहचान भी बताई है।
चाणक्य के अनुसार यदि किसी मनुष्य की परीक्षा न की जाए तो वह बहुमूल्य रत्नों को अपने पैरों की धूल में ही पड़ा रहने देता है और सिर पर घास धारण कर लेता है। ऐसा करने से रत्नों का मूल्य कम नहीं होता और घास के तिनकों का महत्व नहीं बढ़ता। ऐसे में जब कोई विवेकशील, बुद्धिमान व्यक्ति आता है तो वह हर चीज को उसकी जगह पर दिखा देता है।
चाणक्य नीति के अनुसार प्रेम वह सत्य है जो दूसरों को दिखाया जाता है। खुद से जो प्रेम किया जाता है वो प्रेम नहीं। इसी प्रकार, बुद्धि वह है जो पाप को रोकती है, और सच्चा दान वह है जो बिना दिखावे के किया जाता है।
चाणक्य के अनुसार चंदन काटने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता। हाथी बुढ़ापे में भी अपनी गतिविधियाँ नहीं छोड़ता। निचोड़ने पर भी गन्ने की मिठास कम नहीं होती। इसी प्रकार एक अच्छा व्यक्ति चाहे कितना भी गरीब क्यों न हो, अपने उन्नत गुणों को नहीं छोड़ता।
चाणक्य के अनुसार जब किसी व्यक्ति का धन चला जाता है तो उसके मित्र, पत्नी, नौकर-चाकर, रिश्तेदार उसका साथ छोड़ देते हैं और जब धन वापस मिल जाता है तो वे सभी वापस आ जाते हैं। इसीलिए धन व्यक्ति का सबसे अच्छा रिश्तेदार है।