Chanakya Niti:आचार्य चाणक्य के अनुसार हमारे जीवन में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दुश्मन न होते हुए भी दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहें
आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र और नैतिकता का जनक माना जाता है। उन्होंने अपने ज्ञान और नीतियों से इतिहास की धारा बदल दी। चाणक्य को न केवल राजनीति बल्कि समाज के हर विषय का गहरा ज्ञान और अंतर्दृष्टि थी। उन्होंने जीवन के कई पहलुओं पर भी काम किया है। नैतिकता के ग्रंथ चाणक्य नीति में मानव जीवन को सरल और सफल बनाने से जुड़ी कई बातों का जिक्र है।Chanakya Niti
चाणक्य नीति की कुछ नीतियां और नियम हैं जो आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं। वे हमें जीने का सही तरीका भी बताते हैं। चाणक्य नीति के अनुसार आपके आसपास कुछ ऐसे लोग होते हैं जो दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं और आपको उनसे मदद कभी नहीं मांगना चाहिए। ऐसे लोगों से हमेशा दूरी बनाकर रखें।Chanakya Niti
दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं ये लोग
गुस्से वाले लोग से दूर रहे
चाणक्य नीति के अनुसार क्रोध करने वाले व्यक्ति से दूर रहना ही बेहतर होता है। क्योंकि क्रोधित व्यक्ति स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी हानि पहुँचा सकता है। क्रोध में व्यक्ति सही और गलत को भूल जाता है और केवल अपने सुख के बारे में सोचता है। इसलिए ये दुश्मनों से भी ज्यादा खतरनाक साबित होते हैं।Chanakya Niti
चापलूस लोग से दूर रहे
आचार्य चाणक्य के अनुसार चापलूसी करने वालों से भी दूर रहना चाहिए। ऐसे लोग अपन काम करने के लिए दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं।
लालची और ईर्ष्यालु लोग से दूर रहे
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि जीवन में लालची और ईर्ष्यालु लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए। ऐसे लोगों से मदद नहीं मागनी चाहिए। क्योंकि ये लोग ईर्ष्या के चक्कर में आपको और खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ईर्ष्या में व्यक्ति को कभी भी सही और गलत का भान नहीं रहता और वह दूसरों की उन्नति से खुश नहीं रहता।
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मतलबी लोगों से दूर रहें
चाणक्य नीति के अनुसार जीवन में कभी भी किसी स्वार्थी व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि नीच लोग आपका भला करने के बजाय आपको परेशानी में डाल सकते हैं। ऐसे लोग अपने फायदे के लिए आपका नुकसान करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। शत्रु सामने से धोखा दे सकते हैं जबकि मतलबी लोग अपने स्वार्थ के लिए आपकी पीठ पीछे आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मीठी बोली के लोगों से दूर रहें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार तिनके की आग क्षण भर जलती है और क्षण भर सुख देती है और फिर अंधकार हो जाती है। इसी तरह मुंह पर मीठा बोलने वाले कई लोग कुछ देर तो अपनी बातों में उलझाकर हमसे अपना काम करवाते हैं, लेकिन फिर पीठ पीछे ऐसा ठेस पहुंचाते हैं कि वह इंसान जिंदगी भर नहीं भूल पाता। ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें।